‘सड़क 2’ निराशाजनक कहानी व निर्देशन.

| 29-08-2020 3:30 AM No Views

डिजीटल

प्लेटफार्म

रेटिंग

2 star

निर्माताः

-

विशेष

फिल्मस

लेखकः

-

महेश

भट्ट

,

निर्देशकः

-

महेश

भट्ट

कलाकारः

-

संजय

दत्त

,

आलिया

भट्ट

,

आदित्य

राॅय

कपूर

,

गुलशन

ग्रोवर

,

प्रियंका

बोस

,

मकरंद

देशपांडे

,

मोहन

कपूर

,

अक्षय

आनंद

,

जिशुसेन

गुप्ता

अन्य

..

अवधिः

-

दो घंटे

14

मिनट

ओटीटी

प्लेटफार्मः

डिजनी

हाॅट

स्टार

महेश

भट्ट

स्वतः

निर्देशित

1991

की

सफलतम

फिल्म

सड़क

का

सिक्वअल

सड़क

2’

को

लेकर

आए

हैं।

जिसमें

धन

,

ताकत

शोहरत

के

लिए

इंसान

किस

हद

तक

गिर

सकता

है

,

पर

रोशनी

डालने

के

साथ

ही

अंध

विश्वास

और

धर्म

के

तथाकथित

ठेकेदारो

,

धर्मगुरूओं

के

खिलाफ

बात

की

गयी

है।

कहानी

यह

कहानी

आर्या देसाई

(

आलिया

भट्ट

)

की

हैै

,

जिसे

लगता

है

कि

उसकी

मौसी

नंदिनी

ने

उसकी

मां शकुंतला

की

हत्या

करवाकर

उसकी

मां

की

सारी

संपत्ति

पर

कब्जा

करने

के

लिए

उसके

पिता

योगेश

देसाई

(

जिशु

सेन

गुप्ता

)

से

शादी

की

है।

और

अब

नंदिनी

धर्म

गुरू

ज्ञान

प्रकाश

(

मकरंद

देशपांडे

)

के

साथ

मिलकर

उसकी

हत्या

करवाना

चाहती

है।क्योंकि

21

वर्ष

के

बाद

सारी

संपत्ति

की

मालकिन

आर्या

हो

जाएगी।

इसीलिए

उसे

पागलखाने

भिजवा

दिया

जाता

है।

पर

आर्या

पागलखाने

से

भागती

हैं।

आर्या

को

नंदिनी

ज्ञान

प्रकाश

से

अपनी

मां

की

मौत

का

बदला

लेना

है।

और

रवि

वर्मा

(

संजय

दत्त

)

के

पास

पहुँचती

हैं।

रवि

वर्मा

अपनी

स्वर्गवासी

पत्नी

पूजा

(

पूजा

भट्ट

)

की

याद

में

आत्महत्या

करने

का

असफल

प्रयास

कर

चुके

हैं।

वास्तव

में

आर्या

ने

अपने

प्रेमी

विशाल

(

आदित्य

राॅय

कपूर

)

के

साथ

कैलाश

पर

जाने

के

लिए

पूजा

की

कंपनी

पूजा

टूर

एंड ट्रेवल्स

’ में

कार

बुक

करवायी

थी।

विशाल

जेल

में

है

,

और

उसी

दिन

उसे

रिहा

किया

जाना

है।

रवि खुद

टैक्सी ड्रायवर

बनकर

आर्या

के

साथ

उसे

कैलाश

तक

पहुँचाने

के

लिए

निकलता

है।

रास्ते

में

विशाल

को

लिया

जाता

है।

उधर

योगेश

,

नंदिनी

ज्ञान

प्रकाश

के गुंडे

आर्या

को

मौत

के

घाट

उतारने

के

लिए

प्रयासरत

है।

पता

चलता

है

कि

विशाल

का

असली

नाम

मुन्ना चौहान

है

,

पर

वह

तो

ज्ञान

प्रकाश

के

कहने

पर

विशाल

नाम

से

आर्या

से

मिला

था

और

उसकी

हत्या

करना

होता

था

,

पर

आर्या

के

साथ

अंधविश्वास

के

खिलाफ

मुहीम

का

हिस्सा

बन

गया।

कहानी

आगे

बढ़ती

है।

आर्या

पर

हमला

होता

है

,

पर

रवि

बचा

लेते

हैं।

कहानी

में

कई

मोड़

आते

हैं

एक

दिन

योगेश

,

नंदिनी

को

मार

डालता

है

और

फिर

वह

विशाल

आर्या

दोनों

को

मारने

के

लिए

दिलीप

हथकटा

(

गुलशन

ग्रोवर

)

को

भेजते

है।

तब

आर्या

को

सच

पता

चलता

है

कि

नंदिनी

ने

नहीं

उसके

पिता

योगेश

ने

ही

धन

,

शोहरत

ताकत

के

लिए

ज्ञान

प्रकाश

के

साथ

मिलकर

उसकी

हत्या

करनी

चाही।

अंततः

रवि

मारे

जाते

हैं

,

पर

मरने

से

पहले

वह

योगेश

ज्ञान

प्रकाश

सहित

सभी

बुरे

इंसानों

का

खात्मा

कर

देते

हैं।

  ‘सड़क 2’ निराशाजनक कहानी व निर्देशन.

समीक्षा

बेहद

कमजोर

कहानी

पटकथा

तथा

घटिया

क्लायमेक्स

वाली

फिल्म

सड़क

2’

अति

धीमी

गति

से

बिना

प्रभाव

डाले

खत्म

होती

है।

अति

घटिया

लिखावट

के

चलते

फिल्म

बोर

करती

है।

बेवजह

इसे

लंबी

बना

दिया

गया।

कहानी

में

कुछ

भी

नयापन

नही

है। पूर्णरूपेण

नकली

फिल्म

हे।

निर्देशन

बीस

साल

बाद

निर्देशन

में

वापसी

करने

वाले

महेश

भट्ट

का

निर्देशन

काफी

बचकाना

है।

फिल्म

देखकर

अहसास

ही

नही

होता

कि

इसका

निर्देशन

महेश

भट्ट

ने

किया

है।

एक

गंभीर

कथानक

को

जिस

तरह

से

उन्होेने

हास्य

का

जामा

पहनाया

,

उससे

फिल्म

एकदम

बेकार

हो

गयी।

यह

फिल्म

धर्मगुरूओं

या

अंधविश्वास

के

खिलाफ

नहीं

,

बल्कि

महज

घरेलू

झगड़े

बदले

की

अति

पुरानी

कहानी

है।

अभिनयः

इस

फिल्म

में

संजय

दत्त

ने

अच्छा

अभिनय

किया

है। जिन्हें

महेश

भट्ट

के

घटिया

निर्देशन

कमजोर

पटकथा

के

चलते दोहरी

मेहनत

करनी

पड़ी

है।

महेश

भट्ट

ने

अपने

निर्देशन

में

एक

बेहतरीन

अदाकारा

आलिया

भट्ट

के

अभिनय

का

स्तर

गिरा

दिया।

इस

फिल्म

में

उन्होने

ओवर एक्टिंग

की

है।

मुन्ना

चैहाण

उर्फ

विशाल

के

किरदार

में

आदित्य

राॅय

कपूर

बुरी

तरह

से

मात

खा

गए

है

गुलशन

ग्रोवर

की

प्रतिभा

को

जाया

किया

गया

है।

गुलशन

ग्रोवर

ने

सड़क

2’

में

क्या

सोचकर

अभिनय

किया

,

यह

समझ

से

परे

है।

बाबा

ज्ञान

प्रकाश

के

किरदार

में

मकरंद देशपांडे

भी

नहीं

जमे।

वह

महज

कैरीकेचर

बनकर

रह

गए

है।

जिशु

सेन

गुप्ता

ने

भी

निराश

किया

है।

मायापुरी

प्रतिनिधि